देश और समाज में हर लड़की के लिए राक्षस नहीं रक्षक का कवच बने। देश और समाज में हर लड़की के लिए राक्षस नहीं रक्षक का कवच बने।
"आज फिर बाहर जाते समय तुमने दिखावे का बिंदी - सिंदूर लगा लिया। अभी भी मन नहीं भरा "आज फिर बाहर जाते समय तुमने दिखावे का बिंदी - सिंदूर लगा लिया। अभी भी मन नहीं ...
पास खड़ी माँ दोनों को देखकर मुस्कुरा रही होती है। पास खड़ी माँ दोनों को देखकर मुस्कुरा रही होती है।
युवावस्था के रथ पर तो उसने अभी सवारी करी थी कि रथ भरभरा कर गिर गया था । युवावस्था के रथ पर तो उसने अभी सवारी करी थी कि रथ भरभरा कर गिर गया था ।
वह अपने दर्द को बयाँ कर हँसते हुए चल दी जैसे कुछ हुआ ही न हो। वह अपने दर्द को बयाँ कर हँसते हुए चल दी जैसे कुछ हुआ ही न हो।
वह मेरी रक्षा किसी सुरक्षा कवच की भांति करती हैं वह मेरी रक्षा किसी सुरक्षा कवच की भांति करती हैं